शिवाजी महराज का अर्थ
[ shivaaji mheraaj ]
शिवाजी महराज उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक छत्रपति राजा:"शिवाजी बहुत वीर और साहसी थे"
पर्याय: शिवाजी, छत्रपति शिवाजी, छत्रपति शिवाजी महाराज, शिवाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महराज, छत्रपति शिवाजी राजे भोसले
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- छत्रपति शिवाजी महराज की तसबीर ही आनी चाहीये .
- चाहे शिवाजी महराज हो या शहीद भगत सिंह जी , वे कभी भी आंचलिकता के नाम पर भारतीयता और आदमीयता को नहीं विभाजित किया था.
- भगवा जिसने देश में शिवाजी महराज जैसे कितने ही देश भक्तो को बलिदान होने के लिए प्रेरित किया है , को आतंकवाद का प्रतीक बताने में मर्दानगी महसूस कर रहे है।
- इन परिस्थितियों को देखकर यह कहना यथार्थ होगा कि भारत की अखण्डता में भगवान गणेश की अहम भूमिका रही है , जिसे देखकर सर्वप्रथम पुणे में शिवाजी महराज और जीजाबाई के द्वारा गणेश महोत्सव सभी पेशवाओं को एकत्रित करने के उद्देश्य से आरंभ किया गया।
- एक समय था जब भारत माता ने महाराणा प्रताप व शिवाजी महराज को अपनी बीर भुजा बनाया तो कभी शंकराचार्य , रामानंदाचार्य कभी दक्षिण में स्वामी विद्यारण तो उत्तर में संत तुलसीदास पैदा होते है उसी प्रकार आज मै १ ९ वी- २ ० वी शताब्दी क़ा वर्णन करने जा रहा हू , आर्य समाज जब हिंदुत्व की खड्गधार बांह बनकर खड़ा हुआ स्वामी दयानंद से लेकर इस समय तक समाज ने सारे देश में वैदिक धर्म क़े प्रचार से औट डाला .
- आखिर इनका जबाब क्या है किसी ने लिखा था कि धर्म युद्ध ही इसका जबाब है राणासांगा , महाराणा प्रताप, शिवाजी महराज, गुरु गोविन्द सिंह और बन्दा वीरबैरागी इन महापुरुषों ने धर्म युद्ध के माध्यम से ही इन कट्टर पंथियों को परास्त किया था और भारतीय संस्कृति हिन्दू समाज की रक्षा की थी हम अपने महापुरुषों के कथनों को भूल गए है गुरु नानक देव कहते थे 'बालू परे निकले तेल ,बैर के पेड़ में फल जाये बेल, कुकुर पानी पिये सुड़क्का तबु न विस्वास करऊ तुरुक्का.'
- सौभाग्य से उस समय जहा बाप्पा रावल , राणाप्रताप , शिवाजी महराज , क्षत्रसाल जैसे बीर पराक्रमी योधा थे , जिन्होंने केवल बिधर्मियो से मुकाबला ही नहीं किया बल्कि पूरे भारतीय जनमानस में विस्वास बनाये रखा , दूसरी तरफ आदि शंकराचार्य क़े समान स्वामी रामानंद , स्वामी रामानुज ने सभी जातियों में महान संतो को जन्म दिया , उनकी अध्यात्मिक शक्ति इतनी अधिक थी की इन लोगो ने पूरे हिन्दू समाज को संगठित करके रखा और समाज पर राजनैतिक प्रभाव न पड़े अध्यात्मिक प्रभाव बनाये रखा इस नाते पूरे हिन्दू समाज पर संतो क़ा शासन था .
- सौभाग्य से उस समय जहा बाप्पा रावल , राणाप्रताप , शिवाजी महराज , क्षत्रसाल जैसे बीर पराक्रमी योधा थे , जिन्होंने केवल बिधर्मियो से मुकाबला ही नहीं किया बल्कि पूरे भारतीय जनमानस में विस्वास बनाये रखा , दूसरी तरफ आदि शंकराचार्य क़े समान स्वामी रामानंद , स्वामी रामानुज ने सभी जातियों में महान संतो को जन्म दिया , उनकी अध्यात्मिक शक्ति इतनी अधिक थी की इन लोगो ने पूरे हिन्दू समाज को संगठित करके रखा और समाज पर राजनैतिक प्रभाव न पड़े अध्यात्मिक प्रभाव बनाये रखा इस नाते पूरे हिन्दू समाज पर संतो क़ा शासन था .